पर्यावरणीय प्रबन्धन में दिल्ली नगर निगम की भूमिका
Author(s): राकेश कुमार, डॉ अर्चना सिंहAbstract
दिल्ली भारत का सबसे घनी आबादी वाला और शहरीकृत शहर है। पिछले दशक (1991-2001) के दौरान जनसंख्या में वार्षिक वृद्धि दर 3.85ः थी जो राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है। दिल्ली एक वाणिज्यिक केंद्र भी है जो रोजगार के अवसर प्रदान करता है और शहरीकरण की गति को तेज करता है जिसके परिणामस्वरूप नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) उत्पादन में वृद्धि होती है। वर्तमान में दिल्ली के निवासी लगभग 7000 टन/प्रतिदिन एमएसडब्ल्यू उत्पन्न करते हैं जिसके वर्ष 2021 तक बढ़कर 17000-25000 टन/प्रतिदिन होने का अनुमान है। एमएसडब्ल्यू प्रबंधन दिल्ली में नगरपालिका प्रणाली के सबसे उपेक्षित क्षेत्रों में से एक बना हुआ है। उत्पन्न डैॅ का लगभग 70-80ः एकत्र किया जाता है और शेष सड़कों पर या छोटे खुले कूड़ेदानों में लावारिस पड़ा रहता है। एकत्रित एमएसडब्ल्यू का केवल 9ः कंपोस्टिंग के माध्यम से उपचारित किया जाता है जो उपचार का एकमात्र विकल्प है और बाकी को शहर के बाहरी इलाके में अनियंत्रित खुले लैंडफिल में निपटाया जाता है। मौजूदा कंपोस्टिंग संयंत्र कई परिचालन संबंधी समस्याओं के कारण अपनी इच्छित उपचार क्षमता तक काम करने में असमर्थ हैं। इसलिए खाद बनाने की प्रक्रिया के अवशेषों के साथ अधिकांश डैॅ को लैंडफिल में निपटाया जाता है। लीचेट और लैंडफिल गैस संग्रह प्रणालियों की अनुपस्थिति में ये लैंडफिल भूजल प्रदूषण और वायु प्रदूषण (ग्रीनहाउस गैसों के उत्पादन सहित) का एक प्रमुख स्रोत हैं। यह अध्ययन दिल्ली में नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की वर्तमान स्थिति का वर्णन और मूल्यांकन करता है। यह पेपर मौजूदा एमएसडब्ल्यू प्रबंधन प्रणाली में सुधार के लिए दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम की प्रस्तावित नीतियों और पहलों का सारांश भी प्रस्तुत करता है।