हिन्दी सूफी काव्यधारा में आध्यात्मिकता की अनुभूति
Author(s): तरुण कुमारAbstract
प्रेम सूफीमत में विशेष महत्व रखता है या यूं कहें कि सूफीमत को बिना प्रेम के समझा नहीं जा सकता तो गलत नहीं होगा। हिन्दी सूफी काव्यधारा सूफीमत के आधार पर विकसित हुई है। इस काव्यधारा में कवियों ने सूफीमत की वैचारिकी के आधार पर अपने काव्य में प्रेमी-प्रेमिका के मध्य आत्मिक प्रेम का अनुसरण किया है। इनके लिए प्रेमी और प्रेयसी के मध्य आत्मिक प्रेमानुभूति का चित्रण देखने को मिलता है। इनके काव्य में आध्यात्मिकता लौकिक मार्ग से अलौकिक मार्ग की ओर अग्रसर होती है। इनकी यह प्रवृत्ति प्रेमी के प्रेम में रमणी प्रेयसी के प्रेम से पता चलती है जिसका स्मरण बार-बार कर वह अपनी प्रियतम भक्ति को दर्शाती है। प्रिय के लिए ऐसा अटूट प्रेम जिसमें अपने आराध्य के प्रति समर्पण भाव दिखाई दे ऐसा प्रेम केवल सच्ची हृदयानुभूति के कारण ही आ सकता है। प्रस्तुत आलेख के माध्यम से हिन्दी सूफी काव्यधारा में आध्यात्मिक प्रेम की ऐसी ही अनुभूति का बोध करने का प्रयास किया जाएगा जिसमें श्रद्धा भाव एकनिष्ठ प्रेम प्रेमासक्ति आदि का भाव विद्यमान हो।