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नागार्जुन के बाबा बटेसरनाथ का चरित्र
Author(s): फरहत नवी

Abstract
हिंदी साहित्य विविधता पूर्ण है प्राचीन और मध्यकालीन के साथ-साथ आधुनिक साहित्य की अनेक विधाए पर्याप्त समृद्ध है उपन्यास भी एक ऐसी ही विधा है जिसका विकास तीव्र गति से हुआ है और निरंतर हो रहा है हिंदी के अनेक कथाकारों ने विविध तथ्यों और पात्रों के उपन्यासों का सृजन किया है नागार्जुन कालजई कथाकार प्रेमचंद से सच्ची उत्तराधिकार है नागार्जुन ने 11 उपन्यास लिखे हैं इनमें बाबा बटेसरनाथ नाथ 1957 उनका यथार्थवादी उपन्यास है जिसके नायक का चरित्र चित्रण में बेजोड़ है