समसामयिक सन्दर्भों में जिद्दू कृष्णमूर्ति के शैक्षिक दर्शन की प्रासंगिकता का विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s): डॉ. राघवेन्द्र कुमार हुरमाड़े , सुशील कुमारAbstract
शिक्षा मानव समाज की ऐसी स्वाभाविक विशेषता है जो सभ्यता और समाज के विकास के प्रत्येक युग में संस्कृति को संरक्षित एवं संवर्धित करने में सहायता देती आयी है। मनुष्य के सर्वोच्च आदर्शों को स्थापित करने वाली शिक्षा का विकास स्वयं कभी बाधित नहीं हुआ है। वर्तमान वैश्वीकरण के युग में शिक्षा के प्रति जितनी रुचि जागृत हुई है उतनी इससे पूर्व कभी नहीं रही। वैश्वीकरण के इस युग में शिक्षा के लिये संस्कृति को संरक्षित करने के साथ नव संस्कृति का सृजन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। अतः शिक्षाशास्त्रियों का वर्तमान में यह दायित्व है कि वे विद्यार्थियों को जटिल प्रतिस्पर्धात्मक समाज के लिए तैयार करें। वर्तमान में भी शिक्षा के क्षेत्र में विकास की कई संभावनाएं हैं। ये सभी सुधार तभी संभव है जब शिक्षा या उससे जुड़ी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाए। विभिन्न शिक्षा दर्शनों में इन समस्याओं को दूर करने का मार्ग अंतर्निहित होता है। प्रस्तुत शोध भी वर्तमान समसामयिक संदर्भों में शिक्षा की विभिन्न समस्याओं के समाधान के मार्ग की खोज की दिशा में शोधार्थी द्वारा किया गया एक छोटा प्रयास है। प्रस्तुत शोध के अंतर्गत शोधार्थी द्वारा विभिन्न संस्थाओं द्वारा समय-समय पर प्रकाशित कुछ रिपोर्ट्स के अध्ययन के आधार पर समसामयिक संदर्भों में शिक्षा के समस्याओं के क्षेत्रों को चिन्हित कर शोध निष्कर्षों के रूप में उन समस्याओं के समाधान में जिद्दू कृष्णमूर्ति के शिक्षा दर्शन की प्रासंगिकता प्रस्तुत की गई है।